गुरुजी सत्संग
हम गुरुजी के पास तीन साल बाद गए हम 18 दिसम्बर 2008 को राकेश अंकल और उनके परिवार के साथ पहली बार बड़े मंदिर गए। मेरी पत्नी नीरा और बेटी माल्विका भी साथ थी। यह बताना कि उस दिन हम कैसे गुरुजी के दर पर पहुँचे अनुपयुक्त नहीं होगा। राकेश अंकल की बेटी वृभा, मेरी बेटी की सहेली और साल 2007 तक एमिटी स्कूल में उसकी सहपाठी थी। वो माल्विका को गुरुजी के बारे में बताती रहती और उसे एम्पायर एस्टेट चलने के लिए भी कहती। पर हमारी इसमें कोई रूचि नहीं थी और हमने इसके लिए माल्विका को प्रोत्साहित नहीं किया; हम नहीं चाहते थे कि 'ऐसी बातों' से वो प्रभावित हो। लेकिन माल्विका की सोच कुछ और थी और अन्त में अक्टूबर 2008 में वह अपनी सहेली के परिवार के साथ बड़े मंदिर गई। नवम्बर 2008 में वो गुड़गॉंव के वार्षिक समारोह में भी गई। जब भी वो गुरुजी के यहाँ जाती तो बहुत खुश और संतुष्ट आती। परन्तु हमें इस बात से परेशानी होती थी कि वो बहुत देर से आती थी और साथ ही राकेश अंकल को भी असुविधा होती। माल्विका हमेशा गुरुजी का गुणगान करती और हमें भी मंदिर चलने के लिए कहती। क्योंकि हम उसे गुरुजी के यहाँ जाने के लिए प्रोत्साहित नही...